CLAT Result: देश में 34वीं रैंक लाकर झारखंड की क्लैट टॉपर बनी संस्कृति, कहा- सिर्फ 2 चीजों की वजह से सफल
CLAT Result 2025 Success Story: झारखंड की संस्कृति पाठक ने पूरे प्रदेश में ही नहीं देश में भी नाम रोशन किया है. लोकल 18 को बताया कि उनकी सफलता के लिए मम्मी-पापा ने भी बहुत मेहनत की है. पढ़ें सफलता की कहानी…
कॉमन लॉ एंट्रेंस टेस्ट (CLAT 2025) रिजल्ट की घोषणा हो चुकी है. झारखंड की राजधानी रांची की संस्कृति पाठक ने ऑल ओवर इंडिया 34वीं रैंक हासिल की है. वहीं झारखंड में वह क्लैट टॉपर हैं. संस्कृति ने Local 18 को बताया कि निरंतरता और कठिन परिश्रम ये दो चीज रहीं, जिसकी बदौलत वह आज इस मुकाम तक पहुंच सकीं.
संस्कृति ने बताया, उनकी सफलता में पापा-मम्मी का अहम योगदान है. दोनों ने मेरे पीछे बहुत मेहनत की है. पापा हर वह चीज लाकर देते थे, जिसकी मुझे जरूरत होती थी. ट्यूशन छोड़ने व स्कूल छोड़ने हर चीज का बारीकी से ध्यान रखते थे. वहीं, घर पर मम्मी ध्यान रखा करती थीं. खाने से लेकर सोने तक का. मैं सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करती थी.
रिवीजन जरूरी
संस्कृति बताती हैं कि हर दिन न्यूज पेपर पढ़ना और नोट्स बनाना बहुत जरूरी होता है. मैं द हिंदू न्यूज़ पेपर पढ़ा करती थी. इसके अलावा रिवीजन और प्रैक्टिस यह दो चीज बहुत जरूरी होती है. ऐसा नहीं कि आपने दो-चार किताबें पढ़ लें और आपको दो लाइन भी नहीं आती. बल्कि, आप थोड़ा ही पढ़ें पर वह चीज आपको याद होनी चाहिए, इसलिए रिवीजन बहुत जरूरी है.
रोज पढ़ने का नियम बनाएं
इसके अलावा कंसिस्टेंसी बहुत जरूरी है. मैं हर दिन 6 घंटे की पढ़ाई करती थी. हां! कभी-कभी पढ़ने का मन नहीं करता था तो रीडिंग या कुछ फिक्शन बुक्स पढ़ लिया करती थी. इससे मुझे थोड़ा रिलैक्स फील होता था. फिर भी कोशिश यही रहती थी कि हर दिन पढ़ूं. वहीं, कोचिंग विधिज्ञा का भी सपोर्ट रहा है. यहां के मेंटर शुभम सर ने भी सही मार्गदर्शन दिया. क्योंकि इस परीक्षा में सही गाइडेंस सबसे इंपोर्टेंट होता है.
सुनीत ने भी मारी बाजी
रांची के रहने वाले सुनीत ने भी ऑल ओवर इंडिया 53 और प्रभव ने 183रैंक लाकर सफलता के झंडे गाड़े. सुनीत ने लोकल 18 को बताया, बचपन से ही उनका लॉ करने का सपना था. किसी के प्रेशर में नहीं किया, बल्कि यह मेरा सपना था. इसलिए मेहनत करने में दिक्कत नहीं हुई. हर दिन 10 घंटे की पढ़ाई करता था.
टारगेट सेट रहता था, नियम नहीं
प्रभव सोनू ने बताया, मेरा कोई फिक्स टाइम टेबल नहीं था और न ही मैंने कभी घड़ी देखकर पढ़ाई की. बस अपना टारगेट फिक्स रहता था कि इतना करना है तो करना है. चाहे रात का 11:00 या 2:00 बजे. इसी तरीके से मैंने पढ़ाई की और कंसिस्टेंसी के साथ अपने रूटीन को फॉलो किया. कंसिस्टेंसी, हार्ड वर्क, डेडीकेशन, रिवीजन और प्रैक्टिस का कांबिनेशन हो तो सफलता निश्चित है.
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