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    बेंगलुरु में इंजीनियरिंग सीट ब्लॉकिंग घोटाला: BMS इंजीनियरिंग कॉलेज समेत कई संस्थानों पर ED का छापा, 60 लाख में सीट बिक्री का आरोप

    BMS

    बेंगलुरु के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट ब्लॉकिंग और अवैध प्रवेश को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को शहरभर में 18 ठिकानों पर छापेमारी की गई। जांच PMLA (2002) कानून के तहत बेंगलुरु जोनल यूनिट द्वारा की जा रही है।

    मुख्य बिंदु:

    • BMS इंजीनियरिंग कॉलेज, आकाश इंस्टिट्यूट और न्यू होराइजन कॉलेज ED की रडार पर

    • KEA (कर्नाटक एग्जामिनेशन अथॉरिटी) की सीट अलॉटमेंट प्रणाली में गड़बड़ी कर बेची जा रही थीं सीटें

    • एक सीट की कीमत 60 लाख रुपये तक, एजेंट और कंसल्टेंट शामिल

    • ED ने दस्तावेज़, कंप्यूटर हार्डवेयर ज़ब्त किए

    • FIR में BMS ट्रस्ट के कई सदस्यों के नाम, आरोप – सरकारी कोटे की सीटें बेचीं

    किस तरह चल रहा था घोटाला?

    जांच एजेंसी को इस बात की जानकारी मिली है कि कुछ एजेंट और एजुकेशन कंसल्टेंट छात्रों के यूजर लॉगिन और सीक्रेट की का इस्तेमाल कर KEA के पोर्टल में हेरफेर करते थे और सीटों को ब्लॉक कर अवैध रूप से बेचते थे। ये सीटें उन्हीं छात्रों को दी जाती थीं जो सरकारी कोटे या पात्रता नियमों के तहत नहीं आते थे।

    FIR में कौन-कौन नामजद?

    BMS कॉलेज ट्रस्ट पर दर्ज शिकायत में हरषा, प्रकाश, रविशंकर, पुनीत, शशिकुमार, पुरषोत्तम और अविनाश जैसे नाम शामिल हैं। इन पर AICTE और UGC के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर छात्रों से करोड़ों रुपये वसूलने का आरोप है। आरोपियों ने कथित रूप से साक्ष्य मिटाने के लिए उपयोग किए गए लैपटॉप जला दिए

    किसने की शिकायत?

    यह मामला सामाजिक कार्यकर्ता रमेश नायक द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर सामने आया। इसमें आरोप लगाया गया कि BMS ट्रस्ट ने जानबूझकर सीटों की ब्लॉकिंग कर उन्हें गैर-पात्र छात्रों को बेचा, जिससे योग्य छात्रों का नुकसान हुआ।

    ED की आगे की कार्रवाई:

    अब ED इन पैसों के स्रोत और प्रवाह की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इन पैसों का उपयोग किसी और गैरकानूनी गतिविधि में तो नहीं हो रहा था। इस पूरे नेटवर्क में शामिल कॉलेज स्टाफ, एजेंट, और ट्रस्टियों पर शिकंजा कसता जा रहा है।

    यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह छात्र और अभिभावक शिक्षा के नाम पर ठगे जा रहे हैं। ED की यह कार्रवाई आने वाले समय में अन्य संस्थानों के लिए भी चेतावनी साबित हो सकती है।

    🎓 विशेषज्ञ विकास कुमार की सलाह: “COMEDK रैंकर्स को घबराने की जरूरत नहीं”

    जाने-माने करियर काउंसलर विकास कुमार ने कहा:

    “जो छात्र COMEDK रैंक लेकर इंजीनियरिंग में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है। काउंसलिंग की प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित है। जिन छात्रों की रैंक थोड़ी कम है, वे भी अच्छे कॉलेजों में प्रवेश पा सकते हैं, बशर्ते वे सही रणनीति और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के साथ काउंसलिंग में हिस्सा लें।”

     

     

     

     

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