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    बोकारो में भी खेला होबे: इंजीनियरिंग की तैयारी के नाम पर करोड़ों की धोखाधड़ी?

    बोकारो

    पटना और रांची के बाद अब बोकारो सेंटर भी बंदी के कगार पर, अधर में विद्यार्थियों की पढ़ाई

    बोकारो : आईआईटी जेईई सहित इंजीनियरिंग की अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी कराने वाला कोचिंग इंस्टीट्यूट ‘फिट्जी’ अब शायद फिट नहीं रहा। आकाशीय गिद्ध-दृष्टि और संभवत: प्रबंधन की लचर स्थिति के कारण इसकी फिटनेस खतरे में है। पहले पटना, फिर रांची और अब झारखंड में शिक्षा की राजधानी माने जाने वाले शहर बोकारो की बारी है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, फिट्जी का बोकारो सेंटर भी जल्द ही बंद होने वाला है। संस्थान के वरीय शिक्षकों से लेकर कर्मचारी तक इसके लिए मूड बना चुके हैं। न सिर्फ मूड बना चुके हैं, बल्कि आगे की योजना को लेकर अपने कदम भी उन्होंने बढ़ा दिए हैं। लेकिन, शिक्षा के इस महाखेला में इस संस्थान के शिक्षक तो दूसरी राह पकड़ लेंगे, मुसीबत में हैं तो अभिभावक। वे अभिभावक जिनके लाखों-लाख रुपए फंस चुके हैं। एडमिशन और कोचिंग फीस के एवज में छात्रों से लाखों-करोड़ों रुपए वसूले गए हैं। अब उन्हें इस बात का डर सताने लगा है कि जिस प्रकार पटना और रांची के सेंटरों से जुड़े अभिभावकों के साथ कथित धोखाधड़ी हुई, कहीं यहां उन्हें भी न झेलनी पड़ जाय।

    एडवांस में अभिभावकों से ऐंठे गए लाखों रुपए

    अभिभावक बताते हैं कि फिट्जी एक बार में पूरा एडवांस लेता है। एक अभिभावक ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे का चार साल के प्रोग्राम में साढे चार लाख रुपए एडवांस देकर एडमिशन कराया था। अब जब परीक्षा मुहाने पर है और प्रोग्राम पूरा होने में एक साल अभी और बाकी है, ऐसे में सेंटर अगर बंद हो जाता है तो उनके तो रुपए गए काम से! एक अन्य छात्रा ने कहा कि मात्र दो साल के प्रोग्राम के लिए उसके पिता ने बमुश्किल तीन लाख से भी अधिक की रकम एडवांस में जमा कराई थी। अब उनका क्या होगा? अभिभावकों ने कहा कि अचानक से फिट्जी की इस स्थिति के कारण वे उधेड़बुन हैं। उनके बच्चों का भविष्य अधर में दिख रहा है। आगे की तैयारी कैसे होगी, सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है और बीच सेशन में छात्र कहां जाएंगे तो जाएंगे कहां? उन्होंने कहा कि सेंटर बंद होने से पहले अभिभावकों का फीस के रूप में लाखों रुपया जो फंसा हुआ है, वापस मिलना चाहिए।

    परीक्षाओं के समय में बढ़ी चिन्ता

    दरअसल, इस समय बोर्ड परीक्षाएं, नीट, जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का समय है। अचानक से कोचिंग सेंटर बंद होने की सूचना बच्चों के लिए चिंता का विषय बन गई है। पैरंट्स बच्चों के लिए दूसरे संस्थान में पढ़ाई की व्यवस्था कराने में सक्षम नहीं हैं। बता दें कि रांची, पटना, नोएडा जैसे सेंटरों ने बगैर किसी आधिकारिक नोटिस के एक से दो दिन पहले वाट्सएप मैसेज कर कक्षाएं स्थगित करने दी जानकारी दी और जब अभिभावक और बच्चे वहां पहुंचे तो ताले लटके मिले। बोकारो में भी अभिभावकों को भी कुछ ऐसा डर सताने लगा है। खबर है कि देश के कई हिस्सों में फिट्जी के बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं। ऐसे में बोकारो सेंटर में नामांकन लेने वाले बच्चों के पैसे भी लटकने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

    जानिए… अचानक क्यों आए फिट्जी के बुरे दिन

    इंजीनियरिंग की तैयारी के नाम पर लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे करने वाले संस्थान फिट्जी के बुरे दिन के पीछे की वजह प्रबंधन की मनमानी बताई जा रही है। बोकारो सेंटर के ही एक वरिष्ठ शिक्षक ने बताया कि जिस हिसाब से संस्थान को शिक्षक बड़ी रकम देते रहे हैं, उसके अनुपात में शिक्षकों की सैलरी नहीं मिलती। शिक्षकों और कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। सेंटर शिक्षकों को पिछले कई महीनों से वेतन भी नहीं दिया जा रहा था। यह तो रही आर्थिक संकट की बात, शिक्षकों से दुर्व्यवहार भी बहुत बड़ा कारण बनकर सामने आया है। प्रबंधन के शीर्ष अधिकारियों का शिक्षकों के साथ अमर्यादित व्यवहार भी बड़ा कारण बताया जा रहा है। खास तौर से कंपनी के मालिक डीके गोयल का बुरा बर्ताव हाल के दिनों में काफी चर्चा में है।

    इधर, पूंजीपतियों की आकाशीय गिद्धदृष्टि, बिछा रहे जाल

    फिट्जी के लड़खड़ाते हालात के बीच कई ऐसे नामचीन कोचिंग संस्थान हैं, जिनकी गिद्धदृष्टि ऊपर से पड़ी है। पूंजीपतियों का खेल नहीं, महाखेला शुरू हो चुका है और फिट्जी के पतन का लाभ उठाने में कई संस्थान लग चुके हैं। जाहिर है, उनके लिए आपदा में अवसर और व्यावसायिक फायदे की जो बात है। असंतुष्ट शिक्षकों को वैसे अपने यहां लुभा सकें, इसके लिए उन्होंने साम, दाम, दंड, भेद सभी उपाय लगाने शुरू कर दिए हैं। पटना और रांची सेंटरों के केंद्र प्रमुख और वरीय शिक्षक फिट्जी सेंटरों पर ताला मारने के साथ ही नए कमाऊ-घर में शिफ्ट हो गए हैं। बोकारो में कुछ स्थानीय कोचिंग संस्थान, जो विज्ञापनों की चमक-दमक के बूते बाजार बनाने में सफल तो रहे हैं, लेकिन आज भी अभिभावकों का वह भरोसा नहीं जीत सके हैं, जो फिट्जी के नाम के साथ जुड़ा था। वैसे संस्थानों पर अभिभावक और विद्यार्थी भरोसा नहीं कर पा रहे, क्योंकि वे जानते हैं कि कोचिंग वालों का तो केवल कमाऊ अभियान है, लेकिन उनके लिए यह उनके भविष्य की बात है। सूत्रों के अनुसार, बोकारो में अंदर ही अंदर सेटिंग हो चुकी है। एक बड़े ख्यातिप्राप्त संस्थान के साथ फिट्जी की यहां बातचीत चल रही है। अगर उस संस्थान की शाखा नहीं है तो शाखा भी खोली जा सकती है।

    इधर, बोकारो सेंटर हेड ने दिलाया भरोसा- विद्यार्थियों को नहीं देने होंगे अतिरिक्त पैसे, पूरा करुंगा वादा

    फिट्जी बोकारो सेंटर बंद होने को लेकर पूछे जाने पर यहां के केंद्र प्रमुख अमित श्रीवास्तव ने कहा कि इसमें कोई संदेह वाली बात नहीं कि अब ज्यादा दिन ऐसा नहीं चलेगा। जल्द ही कुछ अच्छा होगा और जिस नए संस्थान में वह जाएंगे, पूरी टीम की सहमति से और सभी को साथ लेकर ही जाएंगे। उन्होंने सेंटर में अध्ययनत छात्र-छात्राओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह जिस संस्थान में बच्चों को अभिभावकों की आपसी सहमति से साथ लेकर जाएंगे, वहां उन्हें कोई अतिरिक्त पैसे नहीं देने पड़ेंगे। इसी शर्त पर उनकी बातचीत चल रही है। जो बच्चे एडवांस दे चुके हैं और जिनका जितने दिनों का प्रोग्राम बचा है, वे उसी राशि में उसी प्रोग्राम के तहत आगे की पढ़ाई निर्बाध रूप से जारी रख सकेंगे। बच्चों को कोई परेशानी नहीं होने देंगे। जो कमिटमेंट किया है, उससे बैकफुट पर जानेवाले नहीं हैं। अभिभावकों के साथ आपसी सहमति लेने का काम शुरू हो चुका है। अब तक सब अनऑफिशियल था, पर अब सारा मामला खुलकर सामने आ चुका है। कुछ छिपाने वाली बात नहीं है। जो है, सब सच है।

    टीस… फिट्जी ने पहचान दिलाई, पर ऐसा अंत अच्छा नहीं : अमित
    सेंटर की डामाडोल स्थिति के बारे में पूछे जाने पर बोकारो के सेंटर हेड अमित श्रीवास्तव ने खुले शब्दों में कहा कि आखिर कबतक बर्दाश्त करेंगे? जिस संस्थान में काम करें, वहां के शीर्ष अधिकारियों को जब उनकी परवाह ही नहीं, उनके हित का तनिक भी ध्यान ही नहीं, उनके साथ अच्छा बर्ताव ही नहीं तो आखिर कब तक झेलेंगे? उन्होंने कहा कि वह बोकारो में गलत नहीं होने देंगे। बोकारो के लोकल हैं। यहीं पढ़े-लिखे, पले-बढ़े। फिट्जी ने नाम व पहचान दिलाई, लेकिन अंत ऐसा दुखद होगा, सोचा नहीं था। उन्होंने बताया कि सैलरी की समस्या पहले से भी रही है। अपने 20 साल के कार्यकाल में उन्होंने चार दफा ऐसे हालात देखे। वर्ष 2006, 2012 और 2018 में भी ऐसे हालात थे, लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य होती रहीं। सहयोग-भावना से शिक्षक काम में लगे भी रहे, इस बार इतनी बड़ी गड़बड़ी होगी, इसकी कल्पना भी नहीं उन्होंने की थी। अब कितने दिन भूखे पेट भजन होगा? सेंटर हेड के मुताबिक, फिट्जी बोकारो केंद्र में 937 विद्यार्थी थे। लगभग 450 बच्चे निकल चुके हैं, जो इस बार 12वीं दे रहे हैं। कुछ बच्चे होंगे, जिन्होंने 2 ईयर प्रोग्राम में एडमिशन लिया होगा। 9-10 में लिया था, 10वीं पूरी होने पर, वे भी निकल जाएंगे। अलग-अलग प्रोग्राम वाले लगभग 300 बच्चे वर्तमान में हैं, जिन्हें जिन्हें आगे ले जाने की जरूरत होगी।

    मालिक गोयल समेत कइयों पर देश में जगह-जगह एफआईआर
    शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि फिट्जी से पैसा वापस मिलना असंभव है। मुंबई, नोएडा, रांची और पटना सेंटरों की तर्ज पर बोकारो में भी करोड़ों की घपलेबाजी न हो जाय, इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। देशभर में शिक्षा के नाम पर मची इस लूटपाट और उथल-पुथल के खेल में अबतक करोड़ों-करोड़ की घपलेबाजी सामने आ चुकी है। हजारों विद्यार्थियों की पढ़ाई बीच में ही लटक गई है और फीस के नाम पर ऐंठी गई भारी-भरकम रकम भी फंस गई है, जिन्हें वापस पाने के लिए वे परेशान हैं। अभिभावकों को चिंता इस बात की है कि देशभर में जिस तरह फिट्जी सेंटरों द्वारा धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं, कहीं यहां भी करोड़ों की घपलेबाजी उनके साथ न हो जाय। बता दें कि नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई भोपाल सहित कई जगहों पर फिट्जी संस्थान अचानक से बंद कर दिए जाने के बाद अभिभावकों ने संस्थान के मालिक सहित कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इन मुकदमों में फिट्जी के मालिक डीके गोयल, चीफ फाइनेंस ऑफिसर (सीएफओ) राजीव बब्बर, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) मनीष आनंद आदि को भी नामजद बनाया गया है।

    1992 में दिल्ली से शुरू हुआ था फिट्जी
    बता दें कि फिट्जी के मालिक डीके गोयल हैं। उन्होंने खुद आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई की है। गोयल ने 1992 में दिल्ली से फिट्जी की शुरूआत की थी। इसके बाद देशभर में इसकी शाखाएं खुलती चली गईं और इंजीनियरिंग की तैयारी के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे होने लगे। देशभर में इसके 70 से ज्यादा सेंटर हैं। दिल्ली, नोएडा, पटना, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, भोपाल चेन्नई समेत कई शहरों में इसके सेंटर हैं इनमें से कई सेंटर बंद हो गए हैं और बाकी के बंद होने का सिलसिला लगातार बरकरार है।

    बढ़ी मांग – सरकार कसे शिकंजा
    अभिभावकों का कहना है कि इस तरह के मामलों में राज्य या केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। फर्जी कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसना चाहिए। पेरेंट्स को क्या मालूम की कौन फर्जी है या कौन सही है। ऐसे कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की जरूरत है। अभिभावकों का लाखों रुपया फंसा हुआ है। बच्चों की पढ़ाई खतरे में आ गई। सरकार लोगों के पैसे वापस दिलवाने में मदद करे और फर्जी कोचिंग संस्थानों पर तुरंत कार्रवाई करे। पढ़ाई में नाम पर बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। सरकार और प्रशासन की निगरानी होनी चाहिए। अगर अब निगरानी नहीं बढ़ती है, तो आज फिट्जी भाग रहा है, कल कोई और भागेगा। आज लाखों रुपए डूबे हैं, आने वाले समय में करोड़ों रुपए डूबेंगे।

    दीपक कुमार- बोकारो से

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